Friday, August 29, 2008

मेरा पहला गाना

बावरा मन देखने चला एक सपना...बावरा हूँ मैं और .. बावरी ये रैना
तेरे बिन नही मुझको जीना ...तेरे बिन नही मुझको हँसना .....
तू ही तो है ज्निदगी ...तू ही तो है बंदगी ....
बोलो सजना बोलो सजना ...बोलो सजना है ना .....
बावरा मन देखने चला एक सपना ...बावरा हूँ मैं और .. बावरी ये रैना
बावरा मन देखने चला एक सपना ..

तेरे हनथो में सजाना चाहता हूँ कँगना ....
तेरे सांसो में मैं घुलकर चाहता हूँ बहना .....
तू ही तो रब है मेरा ...तू ही तो भगवान है ....
बोलो सजना बोलो सजना ....बोलो सजना है ना .....

बावरा मन देखने चला एक सपना ...बावरा हूँ मैं और .. बावरी ये रैना
बावरा मन देखने चला एक सपना ...

आज तेरे ख्यालों में चाहता हूँ घूमना ....
आज तेरे नैनो में चाहता हूँ डूबना .......
तू ही तो घर है मेरा ... तू ही तो संसार है ....
बोलो सजना बोलो सजना ....बोलो सजना है ना ....

बावरा मन देखने चला एक सपना ...बावरा हूँ मैं और बावरी ये रैना ....
बोलो सजना बोलो सजना ....बोलो सजना है ना ....
बोलो सजना बोलो सजना ....बोलो सजना है ना ....
बावरा मन देखने चला एक सपना .....

वीर
29-08-2008

3 comments:

डा ’मणि said...

सादर अभिवादन ,
सबसे पहले तो हिन्दी ब्लॉग के नए साथियों में आपका स्वागत है
दूसरे आपकी इस सशक्त रचना के लिए बहुत बधाई

चली अपने व् ब्लॉग के परिचय के लिए ,
ब्लॉग पे डाली एक ताजे ग़ज़ल ये शेर भेज रहा हूँ
देखियेगा -
किसी तूफ़ान का जिनके जहन में डर नहीं होता
हवाओं का असर ऐसे चिरागों पर नहीं होता

समय रहते सियासत की शरारत जान ली वरना
किसी का धड नहीं होता किसी का सर नहीं होता

अगर जी - जान से कोशिश करोगे तो मिलेगी ये
सफलता के लिए ताबीज़ या मंतर नहीं होता

किसी की बात को कोई यहाँ तब तक नहीं सुनता
किसी के हाथ में जब तक बड़ा पत्थर नहीं होता

आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में
डॉ उदय 'मणि' कौशिक

Amit K Sagar said...

बहुत ही खूबसूरत.

प्रदीप मानोरिया said...

तेरे हनथो में सजाना चाहता हूँ कँगना ....
तेरे सांसो में मैं घुलकर चाहता हूँ बहना .....
तू ही तो रब है मेरा ...तू ही तो भगवान है ....
बोलो सजना बोलो सजना ....बोलो सजना है ना .....
बहुत सुंदर विवेचन किया है आपने
कृपया इस पर भी लोगिन करें http://manoria.blogspot.com and http://kanjiswami.blog.co.in