देख रे मन तू मेरे, ऐसे न तू समझा मुझे...
नादान मुझे तू जानकर, ऐसे न तू बहला मुझे .....
देख रे मन तू मेरे...............
तकलीफ देती है मुझे उसके चेहरे की खामोशियाँ,
मासूमियत कहीं खो गयी परेशानियों के दरमियाँ....
तेरे आंसुओ की पुकार पे, इक पल तो खो सा जाता हूँ...
पर उसकी यादों की फुहार से, तन्द्रा से जग जाता हूँ....
देख रे मन तू मेरे..............
स्वार्थी पतझड़ भी देखो, लूटकर तो जाता है .....
पर नई उमंगो और तरंगो की, कोपले दे जाता है....
हम तुम तो हर पल साथ है पर उसकी कुछ और बात है..
तू अगर टूटा भी तो मैं तुझको समेट लाऊंगा,
नादान मुझे तू जानकर, ऐसे न तू बहला मुझे .....
देख रे मन तू मेरे...............
तकलीफ देती है मुझे उसके चेहरे की खामोशियाँ,
मासूमियत कहीं खो गयी परेशानियों के दरमियाँ....
तेरे आंसुओ की पुकार पे, इक पल तो खो सा जाता हूँ...
पर उसकी यादों की फुहार से, तन्द्रा से जग जाता हूँ....
देख रे मन तू मेरे..............
स्वार्थी पतझड़ भी देखो, लूटकर तो जाता है .....
पर नई उमंगो और तरंगो की, कोपले दे जाता है....
हम तुम तो हर पल साथ है पर उसकी कुछ और बात है..
तू अगर टूटा भी तो मैं तुझको समेट लाऊंगा,
पर उसके टूटने से तो खुद भी बिखरने से न बच पाउँगा...
देख रे मन तू मेरे..............
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