This the portal where i express my thoughts which may not be unique but my empty mind gets filled by them. So i come here and give them some better meaning.
Sunday, August 17, 2008
एक मोती
सोचता हूँ में तुझको मेरे आगोश में छिपा लूँ.... दामन में तेरे कुछ खुशियाँ सजा दूं... एक आँसू जो छलके तेरी आँखों से... खुद को मिटा कर मैं उसको चुरा लूं....
सोचता हूँ में तुझको मेरे आगोश में छिपा लूँ.... दामन में तेरे कुछ खुशियाँ सजा दूं... बहुत उम्दा ख्यालात ज़ाहिर किए हैं आपने इन लाइनों में आपसे गुजारिश है मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें http:/manoria.blogspot.com and kanjiswami.blog.co.in आपको मेरी ग़ज़लों का भी दीदार हो सकेगा
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सोचता हूँ में तुझको मेरे आगोश में छिपा लूँ....
दामन में तेरे कुछ खुशियाँ सजा दूं...
बहुत उम्दा ख्यालात ज़ाहिर किए हैं आपने इन लाइनों में
आपसे गुजारिश है मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें
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