Saturday, September 20, 2008

teri yadein

ये बारिश ये बूंदे, ये साँसे ये आहें....तडपाये हमें , क्यूँ हर पल रुलाये....
वो ख्वाबो में उनका हमको सताना, वो हँसना रुलाना, वो बातें बनाना..
वो बातें वो यादें, वो साँसे वो धड़कन, तडपाये हमें, क्यूँ हर पल रुलाये....

वो पल-पल में उनका हमसे झगड़ना, फिर रोकर मेरी गोद में सोना....
वो उनको मानना, वो उनको हँसाना, वो हंसकर उनका मेरी बाँहों में छिपना..
वो बातें वो रातें , वो सांसे वो बाँहें , तडपाये हमें , क्यूँ हर पल रुलाये....

वो छिप-छिप कर बातों में दिन का गुजरना, एक पल का भी इंतज़ार अजल सा लगना...
वो रातों में भी उनका हमसे बातें करना, गाने गाना, गाते-गाते सो फिर जाना...
आह, वो बातें वो रातें , वो साँसे वो आँखे, तडपाये हमें , क्यूँ हर पल रुलाये....

VEER

Saturday, August 30, 2008

कारवाँ बदल रहे, बदल रहे है कारवें ....
जाने फ़िर तेरी फिजा, क्यूँ उड़ रही गुबार में....

खो गए हम यहाँ, इस बड़े संसार में ....
जाने फ़िर तेरे निशाँ, क्यूँ दिख रहे बाज़ार में.......
लब मेरे हँस पड़े, इस लम्हे-रुसवाई में....
शायद जो तेरी याद आयी, इस गम--तन्हाई में....

कारवाँ बदल रहे, बदल रहे है कारवें ....
जाने फ़िर तेरी फिजा, क्यूँ उड़ रही गुबार में....

ख्वाहिशें ऐसी हैं, जो न मिल सके अज़ल में....
जाने फ़िर क्यूँ जी रहे हम , एक ही उम्मीद में......
शायद तू मुझे फ़िर मिले, किसी और ही संसार में....
आज भी बैठा हूँ मैं, उस वक्त के इंतज़ार में.....

कारवाँ बदल रहे, बदल रहे है कारवें ....
जाने फ़िर तेरी फिजा, क्यूँ उड़ रही गुबार में....

VEER
30-08-2008



Friday, August 29, 2008

मेरा पहला गाना

बावरा मन देखने चला एक सपना...बावरा हूँ मैं और .. बावरी ये रैना
तेरे बिन नही मुझको जीना ...तेरे बिन नही मुझको हँसना .....
तू ही तो है ज्निदगी ...तू ही तो है बंदगी ....
बोलो सजना बोलो सजना ...बोलो सजना है ना .....
बावरा मन देखने चला एक सपना ...बावरा हूँ मैं और .. बावरी ये रैना
बावरा मन देखने चला एक सपना ..

तेरे हनथो में सजाना चाहता हूँ कँगना ....
तेरे सांसो में मैं घुलकर चाहता हूँ बहना .....
तू ही तो रब है मेरा ...तू ही तो भगवान है ....
बोलो सजना बोलो सजना ....बोलो सजना है ना .....

बावरा मन देखने चला एक सपना ...बावरा हूँ मैं और .. बावरी ये रैना
बावरा मन देखने चला एक सपना ...

आज तेरे ख्यालों में चाहता हूँ घूमना ....
आज तेरे नैनो में चाहता हूँ डूबना .......
तू ही तो घर है मेरा ... तू ही तो संसार है ....
बोलो सजना बोलो सजना ....बोलो सजना है ना ....

बावरा मन देखने चला एक सपना ...बावरा हूँ मैं और बावरी ये रैना ....
बोलो सजना बोलो सजना ....बोलो सजना है ना ....
बोलो सजना बोलो सजना ....बोलो सजना है ना ....
बावरा मन देखने चला एक सपना .....

वीर
29-08-2008

Sunday, August 17, 2008

एक मोती

सोचता हूँ में तुझको मेरे आगोश में छिपा लूँ....
दामन में तेरे कुछ खुशियाँ सजा दूं...
एक आँसू जो छलके तेरी आँखों से...
खुद को मिटा कर मैं उसको चुरा लूं....

Thursday, August 14, 2008

mera wajood

aaj subah jab aaena dekha, chehra kuch khamosh tha.....
jane kya wo soch raha tha , jane kyun madhosh tha......

labo pe ek mushkan si chhayi, jaise tu mere jehan mein aayi....
kaanp(shiver) gaya tan man mera, jaise tu mujhse milne aayi..

tadap utha chhone ko ye dil, tujhko kyun sargoshi se.....
dekh nahi paya main tujhko, chupke se khamoshi se....

hath badhaye they maine jab , aaena bhi mujhse bol utha....
tu to pagla hai deewane, kya mujhko bhi pagal samajh chala......

tu pyar usko karta hai, aur dekh ke mujhko hansta hai....
jane kyun tu apney aks mein, usko doodha karta hai....

tere aanshoo dekh kar, main bhi sisak padta hun.....
jhoothi tasweer main uski, tujhko dikhlaya karta hun.....

ab kaise main samjhaun usko (aaene ko), main to tujh mein hi khoya hun....
ab to mera wajood hi kya hai, tu hi to mera sarmaya(capital, daulat) hai....

kuch.......pata nahi kya

ajal (death) mujhko dekh kar, jane kyun ruk gayi...
meri aankho mein shayad azal(kai janm) se tera intezaar tha....

ek jurm maine kiya jiska koi javaaz (justification)nahi.....
tumse beintehaa mohabbat ki hai........magar tamsiil(example) main de na sakunga....

aye jannat ke noor, ik niyaaz tujhse hai,
gar main kabhi tujhe dozakh mein miloo....
mat kahna kisi se, mera tujhse se nisbat kya tha.....

jab se tujhe paya hai, jab se tujhe dekha hai,
meri haaj (desires) per mera koi ikhtiyaar(control) na raha......


tere hushn ko aakho mein basa ker,
sochta hun aaj badr(moon) qafas(cage) mein hai...

Monday, June 16, 2008

kya itna galat hun main

बस इतना ही तो चाहा था .....
तेरे आँचल में मैं सो जाऊँ....
बस इतना ही तो सोचा था...
तेरी आँखों में बस जाऊँ....
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....
बस इतना ही तो चाहा था
तेरे सपनो में मैं खो जाऊँ....बस इतना ही तो सोचा था
तेरे गीतों के बोल में बन जाऊँ....
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....
बस इतना ही तो चाहा था
तेरे लबों की मुस्कान मैं बन जाऊँ ....
बस इतना ही तो सोचा था
तेरे अश्को में मैं घुल जाऊँ....
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....
बस इतना ही तो चाहा था
तेरी हर सांस में मैं मिल जाऊँ...
बस इतना ही तो सोचा था
तेरे हर सपने को साकार मैं कर पाऊं...
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....